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Showing posts from March, 2025

शुद्ध हिन्दी

हिन्दी लिखने वाले अक़्सर 'ई' और 'यी' में, 'ए' और 'ये' में और 'ऐं' और 'यें' में जाने-अनजाने गड़बड़ करते हैं। कहाँ क्या इस्तेमाल होगा, इसका ठीक-ठीक ज्ञान होना चाहिए...। जिन शब्दों के अन्त में 'ई' आता है वे संज्ञाएँ होती हैं क्रियाएँ नहीं, जैसे: मिठाई, मलाई, सिंचाई, ढिठाई, बुनाई, सिलाई, कढ़ाई, निराई, गुणाई, लुगाई, लगाई-बुझाई...। इसलिए 'तुमने मुझे पिक्चर दिखाई' में 'दिखाई' ग़लत है... इसकी जगह 'दिखायी' का प्रयोग किया जाना चाहिए...।  इसी तरह कई लोग 'नयी' को 'नई' लिखते हैं...।  'नई' ग़लत है, सही शब्द 'नयी' है...  मूल शब्द 'नया' है, उससे 'नयी' बनेगा...। क्या तुमने क्वेश्चन-पेपर से आंसरशीट मिलायी...? ('मिलाई' ग़लत है...।) आज उसने मेरी मम्मी से मिलने की इच्छा जतायी...। ('जताई' ग़लत है...।) उसने बर्थडे-गिफ़्ट के रूप में नयी साड़ी पायी...। ('पाई' ग़लत है...।) अब आइए 'ए' और 'ये' के प्रयोग पर...। बच्चों ने प्रतियोगिता के दौरान सुन्दर चित्र बनाय...

धंधा

दोस्ती का धंधा .........लघु-कथा... एक आदमी के बारह दोस्त थे.बारहों में से चार कहने के ,चार सचमुच के और चार जरूरत पड़ने पर उसके पक्ष में लाठी लेकर खड़े रहने वाले दोस्त थे.पहले चार जब भी मित्र की हाल-चाल जानने के लिए फोन करते,वह फोन काट देता.ये चारों समझते हमसे कोई भूल हुई है.पर उसका दोस्त समझता-ससुरे !फोन कर माथा चाटेगा.इसलिए काटो.पर,इसकी जब जरूरत पड़ती फोन लगाता और आए दिन पैसे का डिमांड करता.पैसा मिलता तो ठीक,वरना दोस्ती कैसी?इस बात को पहले चार कभी समझ नहीं पाए;क्योंकि चारों कभी आपस में मिले न थे,न एक दूसरे को जानते थे.किसी ने एक बार उसमें से एक को समझाया था कि वह दोस्त जिसे तुम दोस्त समझ रहे हो;वह तो तुम्हें दोस्त समझता ही नहीं है.क्योंकि उसकी बहन से मुझे प्यार हो गया था.वह भी मुझसे पैसे ठगती.मैं प्यार में डूबा रहता.पर वह तो 'इनज्वाय'दूसरे से करती.उसके भी बारह दोस्त थे.चार को बारी-बारी से इस्तेमाल करती ,चार से 'इनज्वाय'करती और चार को फुसलाकर-मुस्कान पर ही अपने पक्ष में लड़ने के लिए खड़ा किये रहती है.जो तुम्हारा दोस्त है वह बारह के अलावा दो सगी बहनों से दोस्ती कर लिया ह...