"टुकड़ों में मेरी जिंदगी" का लोकार्पण

हरेराम सिंह के आत्मकथात्मक उपन्यास का लोकार्पण. …..

डेहरी ऑन सोन,१४ सितंबर. साहित्य संगम के तत्वावधान में हिंदी दिवस के खास मौके पर डॉ.हरेराम सिंह का आत्मकथात्मक उपन्यास "टुकड़ों में मेरी जिंदगी का लोकार्पण त्रिवेणी प्रकाशन के सभागार में हिंदी कहानीकार सीड़ी सिंह के करकमलों द्वारा हुआ।उन्होंने कहा कि हरेराम  सिंह प्रतिभासंपन्न लेखक हैं।इन्होंने महज पैंतीस साल की उम्र में एक दर्जन पुस्तकों का प्रणयन किया।इनका " टुकड़ों में मेरी जिंदगी "किसान पुत्र के संघर्षों व झंझावतों का सुंदर नमूना है जो अभाव में भी आशा बनाए रखने की प्रेरणा देता है।"वहीं कवि-नाटककार अभिषेक कुमार अभ्यागत ने कहा कि हरेराम सिंह के आत्मकथात्मक उपन्यास एक किसान युवक की त्रासदी है,जहां युवक प्रेम के लिए तरस जाता है,पर उसे परिवार व प्रेमिका दोनों मैं से किसी से प्रेम नसीब नहीं होता.हिंदी दिवस के अवसर पर रामदर्श सिंह ने कहा कि हिंदी को शासकों ने रोटी से नहीं जोड़कर इसके साथ बड़ा छल किया ।हरेराम सिंह ने कहा कि हिंदी एक मजबूत व जीवंत भाषा है,पर संस्कृत के पूर्वाग्रही इसे गंवारु समझा,इसलिए भी हिंदी उपेक्षित रही और शासक वर्ग अंग्रेज़ी को बढ़ावा देकर हिंदी भाषियों के टैलेंट को दबाने का काम किया,इसके पीछे सवर्णवादी मानसिकता कार्यकर रही थी। त्रिवेणी सभागार में कवि रामनाथ सिंह के अलावे लक्ष्मण सिंह,राम प्रसाद सिंह, बिहारी सिंह,कैलास सिंह आदि उपस्थित थे।

...प्रस्तुति: सुमन कुशवाहा,काराकाट (रोहतास)।

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