सफ़र चाँद का
चलो दूर चलें,
चाँद के पास चलें
सफ़र लंबा है;
जिंदगी का,
मगर चलना है
चलते रहना है!
चलते-चलते जबतलक
थक न जाना है;
चलते जाना है!
चाँद पास ही है;
दूर नहीं
वह मेरा मामा है,
कोई ग़ैर नहीं!
माँ उन्हें बहुत याद करती है,
मैं भी उन्हें बहुत याद करता हूँ...
मामा से मिलने हेतु रोज तड़पता हूँ!
....डॉ.हरेराम सिंह....
चाँद के पास चलें
सफ़र लंबा है;
जिंदगी का,
मगर चलना है
चलते रहना है!
चलते-चलते जबतलक
थक न जाना है;
चलते जाना है!
चाँद पास ही है;
दूर नहीं
वह मेरा मामा है,
कोई ग़ैर नहीं!
माँ उन्हें बहुत याद करती है,
मैं भी उन्हें बहुत याद करता हूँ...
मामा से मिलने हेतु रोज तड़पता हूँ!
....डॉ.हरेराम सिंह....
good poetry
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