बिहार में कुशवाहा की खापें-
बिहार में कुशवाहा के गोत्र:
१.कुशस्थली,कन्नौजी
२.बनाफ़र
३.जलहार,ज़रहार,जलहार
४.बनाफ़र
५.गोंयता
६.हरदिया,हल्दिया,हार्डिया
७.सांढ़ैला
८.भाम
९.केवान,केवानी
१०.पिपरपतिया
११कमरोयां
१२.भगतिया
१३.मगधिया
१४.सुकीयार/साक्यार
.../....
आज ही के दिन बीएचयू के मेघावी छात्र मात्र 21 वर्ष की उम्र में शहीद प्रभु नारायण ने खगड़िया स्टेशन पर उतर कर अपने सहयोगियों के साथ खगड़िया थाना में अंग्रेज के दलाल सिपाही को भारत से भगाने के लिए चले थे । अंग्रेजों ने उन्हें तीन बार बोला रुको-रुको जब शहीद प्रभु नारायण नहीं रुके तब थाना के सामने अंग्रेज के दलाल सिपाहियों ने शहीद प्रभु नारायण को गोलियों से भून डाला!उन्होने आखिर दम तक तिरंगा को हाथ में थामे रहा और अंग्रेजों को भगाने के लिये देशभक्ति का नारा बुलंद करते रहे।उनकी शहादत की खबर ने जिलेवासियों को झकझोर कर रख दिया और देखते देखते पुरे जिला में आम जनों,युवाओं का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया ।इस प्रकार खगड़िया में 1942 का भारत छोड़ों आन्दोलन में युवाओं ने उनकी शहादत का बदला लेने के लिये अंग्रेज अधिकारियों का नींद हराम कर दिये ।ऐसे वीर सपूत को आज खगड़िया याद कर कर रहा है !
भरा नहीं जो भावों से,बहती जिसमें रसधार ना हो !
हृदय नहीं वह पत्थर है,जिसमे स्वदेश का प्यार ना हो!!
लड़ाई में उतरना होगा
.........
मराओगे,पिटाओगे
और अंत में मारे जाओगे!
समझे कुशवाहा-बंधु.
और तुम्हें बचाने वाला भी कोई नहीं मिलेगा.
सिंह कहने से कोई सिंह नहीं हो जाता
वह आदमी का बच्चा ही रहता है,
पर,जब दस मिल जाते हैं एक साथ,
कदम में कदम मिलाकर जब चलते हैं,
एक दूसरे के लिए मरते हैं,
तब उसी कदम ताल से थर्रा जाती है धरती,
थर्रा जातें हैं दुश्मन,
थर्था जाते हैं सिंह,
इस सिंह की आवाज सुन,
समझे कि नहीं कुशवाहा बंधु!
क्षत्रिय की पहली पहचान अपने पक्ष से लड़ना है,
दूसरी पहचान राष्ट्र के लिए लड़ना है
तीसरी पहचान अपने' मान 'के लिए लड़ना है
यानी हर समय,हर जगह न्याय स्थापित हो
इसके लिए लड़ना है
समझे क्षत्रिय कुशवाहा बंधु!
और यह भी कि जो अपने और अपनों को न्याय नहीं दिला सकता
वह औरों को न्याय क्या दिला सकता?
और कुशवाहा बंधु जो दूसरे को सुरक्षा देने का वचन देते हैं,
वही निष्कंटक राज करते हैं;
समझे हमारे कुश के वंशज,प्राचीन क्षत्रिय!
.....डॉ.हरेराम सिंह....
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