लमही के महतो
लमही कुशवाहा बहुल गाँव है.इनका उपनाम 'महतो'है.गोबर महतो की शादी अंतरजातीय है.भोला अहीर की पुत्री से इसका एक बच्चा भी है.आज की खाप पंचायतें इन्हें मार डालती.समाज इन्हें बहिष्कृत करता है.पर इन्हें मृत्युदंड़ नहीं देता.ये प्रेमचंद की दूरदर्शिता का परिणाम है.कुशवाहा और यादव के बीच का संबंध भविष्य की ओर इशारा करते हैं.शायद प्रेमचंद को लगा हो कि पिछड़े एक होने वाले हैं.नब्बे के दशक में ऐसा हुआ और हमारे बीच मंडल आयोग आया.गोदान में रूपा सोना को -सोना चमार कह चिड़ाती है.इससे स्पष्ट है कि होरी ,चमार(शूद्र)नहीं है.वह महतो है.बनारस और अवध के आसपास कुशवाहा किसान स्ववं को महतो कहते हैं.
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