डॉ हरेराम सिंह का काव्य- संग्रह " हाशिए का चाँद " एक अवलोकन,,,, कविराज कवि। यह जानकर सुखद आश्चर्य होता है कि कवि डॉ हरेराम सिंह अपनी उम्र से भी ज्यादा पुस्तकें लिखकर हिंदी लेखन साहित्य में एक रिकार्ड कायम किया है जो काबिले तारीफ है। कवि हरेराम सिंह एक सफल कवि के साथ- साथ कहानीकार, उपन्यासकार, समीक्षक और आलोचक भी हैं। " हाशिए के चाँद " में कुल 160 कविताएँ संगृहीत हैं। इनकी कविताओं में आम आदमी की त्राशदी की झलक देखने को मिलती है। आम आदमी का दर्द, पीड़ा और बेचैनी स्वतः- स्फुर्त महसूस होती है। श्रेष्ठ कविता की पहचान है कि पढ़ते ही समझ में आ जाए और पाठक रस से भाव- विभोर हो जाए और यह आकलन सापेक्ष दिखता है। कवि की आत्मा की निगुढ़तम आकांक्षाओं का आभास स्वप्नों के रूप में झलकता है और कवि जिन स्वप्नों को कविता में अंकित करता है, उन्हें रचने में उसके अभ्यंतर में भीषण संघर्षण- विघर्षण का मंथन चक्र चलता है। कवि की कविताओं में उसकी जीवन- कालव्यापी साधना निहित होती है। संसार के रात- दिन के सुख- दुःख, आशा- निराशा, स्नेह- प्रेम, कलह द्वंद के भी...
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