पलकें

दो पल ही जी लेते,
तेरे ही संग तो
यह जिंदगी कभी
खामोश न होती

तुझसे न मिलने की
तड़प जी रहा हूँ
अकेला इस जहाँ में
मारा फिर रहा हूँ

तेरा साथ ग़र होता
ये जिंदगी हसीन होती 
पलकें जो भीगीं हैं
वे भीगीं न होतीं

अपनी खामोशी तोड़कर
पल भर पास आते
रुहे आराम मिलता
ग़र मुझे छोड़ के न जाते

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