ऐ मेरे नौजवान साथी , इस दुनिया में खो जाने के लिए , मेरे लिए आप ही काफी हो!

आपसे जब भी मिला
चाहा कि सबकुछ सीधे कहूँ
पर , यह डर हमेशा बना रहा
कि आप हमेशा के लिए
मुझे छोड न दें....
............
मेरी खूबसूरत दोस्त ....मेरा प्यार
.....आपका मिलना एक-एक पल याद है...मरते दम तक उसे भूला नहीं पाऊंगा....क्या बताऊं...आपका चलना, पीठ मेरी तरफ करना,...हाथों में घास तोड़कर देना ...आपका जरा सा स्पर्श मुझे पागल बना गया था...
बोलो मेरे मित्र...मेरी सखी...कब दिल नहीं किया कि बांहों में भर लूं...आपका हर अंग मुझे खींच रहे होते हैं । पर क्या आप अनुमान लगाया है कभी कि यह आदमी कितना कष्ट उठाकर खुद को रोक लेता है...जब भी लौटा अपने पूरे शरीर व मन को धोखा देकर लौटा जबकि वे मुझसे कहते रहे ....जी भर प्यार कर लो...ऐसा तुझे कोई मिलेगा नहीं । अब मुझसे लिखा नहीं जा रहा है। मेरा हीरा है..तू...कितना बार कहूं...। ईश्वर मेरी आँखों में वह ताब हमेशा जिंदा रखे जो आजीवन आपको निहार ले..
.........
रात चढ़ रही है
और आप जवानी बनकर मेरी
होठों पर बरस रहे हो

Comments

Popular posts from this blog

ओबीसी साहित्य विमर्श

सुमन कुशवाह