समय से संवाद करता युग

भाई डॉ.हरॆरामजी की लगभग दो दर्जन रचनाएं विभिन्न प्रकाशनों से छप चुकी है। लेखन कला की उनमें अद्भुत क्षमता हैं।।वे विगत 10 वर्षों से निरंतर लेखन कार्य कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी सद्यः प्रकाशित एक लंबी कविता पुस्तकाकार रूप में मुझे भेंट की। एक कविता- वह भी सौ पृष्ठों की! यह लम्बी कविता उनका एक अनूठा प्रयोग है। हो सकता है मुक्तिबोध की लंबी कविता पढ़कर उन्हें यह कविता लिखने की प्रेरणा मिली हो। वैसे कुछ अन्य कवियों की लंबी कविताएं भी प्रकाशित हुई हैं और चर्चित भी। डॉ हरेराम सिंह की कविता का शीर्षक है- 'समय से संवाद करता युग'। यह कविता उनके जीवनानुभव  की अभिव्यक्ति है। उनकी इस कविता में वैयक्तिक पीड़ा,दुख,दर्द,आशा, आकांक्षा, निराशा, स्वप्न, चिंता-दुश्चिंता,प्रेरणा,घात-प्रतिघात आदि स्थितियां- मनोभावों की अभिव्यक्ति  है। यह अभिव्यक्ति समाज सापेक्ष भी है। कुल मिलाकर कविता अत्यंत पठनीय है।
•राम कृष्ण यादव

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