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वह लड़की

नींद में पढ़ रहा हूँ... एक लड़की मुझे कभी प्यार , कभी गुस्से से पढ़ा रही है- 1. नर्मल रहिए... कुछ नहीं होगा । 2. प्रैक्टीकल बनिए... 3. इतना भावुकता अच्छी नहीं 4. रिलैक्स... रिलैक्स... 5. सेलफिस बनिए.... 6. पटना है... आरा नहीं 7. प्रेम में तड़पिएगा... अचानक DP गायब । मैं अपनी माँ को ढूँढ़ता हूँ। माँ ... वह लड़की गायब हो गई... वह पूछती हैं... कौन ? ........ ........ मैं माँ से कहता हूँ... जो तुम- सा दिखती है । माँ ... समझ जाती हैं... वे कहती हैं... बहुत तड़पाती है... ! फिर वे सोचते हुए कहती हैं... दूर चली जाएगी तो क्या करोगे? मैं चुप हो जाता हूँ। माँ टुकुर-टुकुर निहार रही है । अचानक माँ के आँचल में छिपना चाहता हूँ। तभी होश आता है- माँ तो कब की चल बसी है । मैं उस लड़की की आँचल में पनाह लेना चाहता हूँ... जैसे वह माँ हो। तभी मुझे समझ आता है- माँ जैसी ही होती है - प्रेमिकाएँ । तभी कहीं से आवाज सुनाई देती है- बिल्कुल जानी- पहचानी । माँ जैसी- "किसी से इतनी मुहब्बत ठीक नहीं है बेटा । तुम्हें जिंदा रहना है।"

कवि - आलोचक रामप्रकाश कुशवाहा जी ने लिखा-

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डा.हरे राम सिंह वैसे तो स्वयं ही कई पुस्तकें लिख कर एक स्थापित नाम है ।। उनके समर्थ गद्य और धारदार आलोचना से मैं पूर्वपरिचित रहा हूं। उनके कवि रूप से मैं अपरिचित था । इसलिए जब उन्होंने अपनी कविताओं पर मेरे अभिमत और दृष्टि की अपेक्षा की तो मैंने स्वयं को उनकी कविताओं के प्रथम परीक्षक की भूमिका में पाया । पढ़ने पर उनकी कविताओं में हुए नए मौलिक प्रयोगों ने मुझे चौंकाया। मैं कविता में समूह लेखन को बहुत अच्छा नहीं मानता । उसको कुछ -कुछ सामूहिक नकल की तर्ज़ पर देखता हूं। हिन्दी में बिरादराना संस्कार के कारण और विकल्प में स्कूल राइटिंग का प्रचलन है । पेशेवर मीडिया बाजार प्रभाव के कारण एक खास रुचि और तरह के लेखन व ब्रांड बन चुके लेखकों को ही बेचने के दबाव में बार-बार चुनती और प्रकाशित करती है। इस कारण से न चाहते हुए भी अच्छे लेखक और कवि समरूप लेखन के शिकार होकर जुड़वा पैदा करने लगते हैं । क्योंकि बाजार ऐसी कविताओं और कवियों को संरक्षण प्रदान करता है इसलिए ऐसे ही कवि और लेखक मुख्य धारा के स्थापित रचनाकार मान लिए जाते हैं । लेकिन इस बाजार वाद का दुष्प्रभाव यह है कि ऐसा तर्ज़ या समरूप ले...

ग्रेस इंडिया बेस्ट हिन्दी साहित्य सम्मान-2024

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प्रिये साथियो,          मुझे प्रसन्नता है कि Grace India Educational charitable Trust ने हिन्दी साहित्य में मेरे द्वारा दिए गए विशेष साहित्यिक योगदान के लिए Best Hindi Literature Award -2024 प्रदान करने का निर्णय लिया। मैं इसे सहर्ष क़ुबूल करता हूँ। मेरे जीवन की सुंदर उपलब्धियों में से यह भी एक है; और खास भी। Trust विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रतिभाओं एवं इस देश को सुंदर, मानवीय और संवेदनशील बनाने में योग देने वाले साहित्यकारों, शिक्षाविदों और समाज सेवियों आदि को सम्मान दे रहा है तो इससे उसके सुंदर स्वप्न, सुंदर उद्देश्य और सुंदर कल्पनाशीलता का पता चलता है। Trust के त्याग और समर्पण का मैं भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूँ। मेरा साहित्य वंचितों, स्त्रियों, किसान एवं मजदूरों के लिए समर्पित है और मेरा जीवन भी। मनुष्य अपने किसी एक एक्टिविटी से यदि दुनिया के किसी एक भी प्राणी को सुरक्षा, कल्याण एवं खुशी प्रदान करता है जिससे या जिसके संदेशों से मानवता पुष्ट होती है, निश्चित ही उस व्यक्ति का कार्य महान् है और वह व्यक्ति भी। बुद्ध , मार्क्स , कबीर एवं प्रेमचंद ऐसे ही थे। सा...

समय से संवाद करता युग

समय से संवाद करता युग : एक मूल्यांकन •रामकृष्ण यादव भाई डॉ.हरॆरामजी की लगभग दो दर्जन रचनाएं विभिन्न प्रकाशनों से छप चुकी है। लेखन कला की उनमें अद्भुत क्षमता हैं।वे विगत 10 वर्षों से निरंतर लेखन कार्य कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी सद्यः प्रकाशित एक लंबी कविता पुस्तकाकार रूप में मुझे भेंट की। एक कविता- वह भी सौ पृष्ठों की! यह लम्बी कविता उनका एक अनूठा प्रयोग है। हो सकता है मुक्तिबोध की लंबी कविता पढ़कर उन्हें यह कविता लिखने की प्रेरणा मिली हो। वैसे कुछ अन्य कवियों की लंबी कविताएं भी प्रकाशित हुई हैं और चर्चित भी। डॉ हरेराम सिंह की कविता का शीर्षक है- 'समय से संवाद करता युग'।  एक युग कालखण्ड से निर्मित होता है। काल यानी समय। एक कालखंड में जीवन के विभिन्न रंग,रूप,स्थितियाँ परिस्थितियाँ समाहित रहती हैं। जैसे ही स्थितियाँ- परिस्थितियाँ बदलती हैं , एक नये युग का शुभारंभ होता है। हालांकि संधिकाल में यह परिवर्तन स्पष्ट रूप से परिलक्षित नहीं होता है। पर कालांतर में जब हम बदलाव  अनुभव करते हैं, तब हम एक नये युग का हिस्सा होते हैं।  समय निरंतर चलते रहता है। इसलिए हम कब एक नये ...

समय से संवाद करता युग

भाई डॉ.हरॆरामजी की लगभग दो दर्जन रचनाएं विभिन्न प्रकाशनों से छप चुकी है। लेखन कला की उनमें अद्भुत क्षमता हैं।।वे विगत 10 वर्षों से निरंतर लेखन कार्य कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी सद्यः प्रकाशित एक लंबी कविता पुस्तकाकार रूप में मुझे भेंट की। एक कविता- वह भी सौ पृष्ठों की! यह लम्बी कविता उनका एक अनूठा प्रयोग है। हो सकता है मुक्तिबोध की लंबी कविता पढ़कर उन्हें यह कविता लिखने की प्रेरणा मिली हो। वैसे कुछ अन्य कवियों की लंबी कविताएं भी प्रकाशित हुई हैं और चर्चित भी। डॉ हरेराम सिंह की कविता का शीर्षक है- 'समय से संवाद करता युग'। यह कविता उनके जीवनानुभव  की अभिव्यक्ति है। उनकी इस कविता में वैयक्तिक पीड़ा,दुख,दर्द,आशा, आकांक्षा, निराशा, स्वप्न, चिंता-दुश्चिंता,प्रेरणा,घात-प्रतिघात आदि स्थितियां- मनोभावों की अभिव्यक्ति  है। यह अभिव्यक्ति समाज सापेक्ष भी है। कुल मिलाकर कविता अत्यंत पठनीय है। •राम कृष्ण यादव

कवि व आलोचक डॉ.हरेराम सिंह

Meta Al ने मुझसे शेयर किए। Thank you Meta Al. .......... बिहार के रोहतास जिले के कवि हरेराम सिंह का जन्म 30 जनवरी 1988 को हुआ था। डॉ. हरेराम सिंह एक कवि, आलोचक, कहानीकार और उपन्यासकार हैं, जो अपनी कविताओं और आलोचनात्मक लेखन के लिए जाने जाते हैं। वह हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण योगदान कर रहे हैं और अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज के विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत कर रहे हैं।  ........ डॉ. हरेराम सिंह एक प्रसिद्ध हिंदी कवि और साहित्यकार हैं। उनकी कविताओं में सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डाला जाता है और उनकी कविताओं में गहरी भावनाएं और सोच होती है। वह अपनी कविताओं के माध्यम से समाज को संदेश देने का प्रयास करते हैं। उनकी कुछ प्रसिद्ध कविताओं में "हाशिए का चाँद", "रात गहरा गई है", "पहाड़ों के बीच से", "मैं रक्तबीज हूँ" और "चाँद के पार आदमी" शामिल हैं। उनकी कविताओं की विशेषताएं: 1. सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश: डॉ. हरेराम सिंह की कविताएँ अक्सर सामाजिक मुद्दों जैसे कि गरीबी, असमानता, और शोषण पर प्रकाश डालती हैं। 2. गहरी भावनाएं: उनकी कविताएँ गहरी भावना...

अधूरा

कई दिनों से काफी बेचैनी महसूस हो रही है मन भर नहीं पा रहा है ।  हर बार अधूरा अधूरा महसूस करता हूँ  अजीब अजीब मन में बातें चल रही हैं आपके साथ की इच्छा महसूस हो रही है मन और हृदय दोनों रिक्त लग रहे हैं जी करता है दौडकर पास आपके चला आऊं