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कोविड 19

कोविड-१९ का जलवा बीच बिलखती जिंदगी ............हरे राम सिंह.... । तुम आई हो मौसमे-बहार बनके। किसी के अपने यार बनके। तो किसी की गले का फाँस बनके। तुम्हें क्या कहा जाए- आफत,विपदा,महामारी कि प्राणहारी? कि राजनीति की सजनी? समझ नहीं आ रहा! अगर आ भी रहा है तो चुप रहना है,न्यूज रूम से बाहर नहीं निकलना है। नहीं तो कोई पागल दिवाना,तुझे देख लेगा, और हो सकता है बलात्कार कर देगा। हे,कोविड़-१९ ,मेरी जान ,मेरी माशूका! तुम कितनी प्यारी हो,जो मेरी सहयोग करती हो। कई तरह के आरोपों से वरी करती हो। तुम्हारे एहसान कभी नहीं भूलूंगा। कमल की पंखुड़ियों पर बिठाकर, तेरा यशोगान करूँगा । ये जो जिंदगियाँ बिलख रही हैं उसकी छोड़ो, आओ,शयनगार में शयन करें, बिलखना उनका काम है! रोना-धोना राँड़ की तरह। हे,मेरी सहचरी मैं सत्ता हूँ। तुम जितना' चबाती'हो,उतनी ही खूबसूरत लगती हो और तुम्हारे गाल पूप जैसे मुलायम । इसलिए तुम ऐसी ही सदा बनी रहो। और तेरा यह रूप मुझे बहुत भाता है! +++हरेराम सिंह+++