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मेरे राम का चरित्र

राम का पूरा चरित्र पढ़ जाइए वे 'क्रूर' व 'आक्रामक'नजर नहीं आएंगे न ही वे 'राजपूत'नजर आएंगे ;वे क्षत्रिय नजर आएंगे.वे सौम्य नजर आएंगे,अन्याय से लड़ते नजर आएंगे ;आज के 'कुशवाहों'सा सीधा नजर आएंगे;गलती का प्रतिकार करते नजर आएँगे.आखिर ऐसा क्यों?उनका व उनके भाईयों का 'रामायण'व'रामचरितमानस'पढने से जो मानसपटल पर जो छवि उभरती है ढील-डौल की वह भी 'राजपूतों'की तरह भयानक नहीं है और न ही फूलन देवी व हाथरस की लडकी मनीषा बाल्मीकि से बलात्कार करने वाले 'राजपूतों'की तरह है.आखिर ऐसा क्या क्यों है?इसे समझने के लिए इतिहास में जाना होगा,वर्ण व्यवस्था को समझना होगा.'राजपूत'वर्ण नहीं है.वह जाति है और यह जाति 7वीं शताब्दी के बाद की है.यह जाति आक्रमण कर भारत को जीतना चाहा.पर भारत के पूराने राजवाडे व क्षत्रिय इन्हें भीतर प्रवेश नहीं करने दिए .उन्हें सीमा तक सीमिता दिए.ऐसा विचार डॉ.राम प्रकाश कुशवाहा का है.इतिहासकार श्याम सुंदर तिवारी कहते हैं कि विभिन्न राजाओं जो भिन्न कुल व वंश के थे वे 'राजपूत'खुद को घोषित कर दिए.यहां तक कि '

तुम कहाँ हो?

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