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Showing posts from June, 2021

सुमन कुशवाह

अर्थशास्त्री कीन्स के बारे में... ..............सुमन कुशवाह. कीन्स व्यष्टि -अर्थशास्त्र के जनक माने जाते हैं.इनका जन्म 5जून 1883 ई.को कैंम्ब्रिज ,इंग्लैंड में हुआ. वे जोन मेनार्ड केन्स मार्शल के शिष्य और king's college कैंब्रीज के प्रशासक एवं   अर्थशास्त्री रह चुके जॉन नेविल कींस के पुत्र थे.उनकी माँ फ्लोरेंस एडेंस किंग्स कॉलेज की प्रथम स्नातक महिला थी.वह साल 1902 का था.अपने जमाने के मशहूर कला प्रेमियों से भी उनकी दोस्ती थी जिनमें वर्जीनिया वुल्फ भी एक थीं.हालांकि इनका बचपन अभाव में तो नहीं गुजरा पर संघर्ष से कभी पीछे न रहे.इन्होंने सन् 1905 में बी.ए. तथा 1909 में एम.ए.की शिक्षा प्राप्त की.युवावस्था में कुछ के साथ इनके समलैंगिक रिश्ते भी रहे.जिसका अंत प्राय:1985 में रूसी नर्तक लिडा लोपोकोव से शादी के बाद हो गया.1920के दौरान कीन्स ने बेरोजगारी,धन और कीमत के अंतर्संबंधों को लेकर जो सूत्र दिए वे अर्थशास्त्र में काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं.'धन की संधि'(1930)इनकी काफी चर्चित पुस्तक रही.इन्हें 1942 ई.में वंशानुगत बडप्पन का खिताब भी मिला.उनका मानना है कि मजदूरी में कमी से बेरोजग

Nupur Singh

E-COMMERCE AND MY EXPERIENCE IN WORKING AT AN E-COMMERCE COMPANY “If you decide that you’re going to do only the things you know are going to work, you’re going to leave a lot of opportunity on the table” -JEFF BEZOS This statement is given by Jeff Bezos, born on January 12, 1964, in New Mexico, the United States an American entrepreneur who played a key role in the growth of e-commerce as a founder of Amazon.com, Inc. which now sells a wide variety of products online, previously it only sold books online. According to me, the above statement of Jeff Bezos fits perfectly in the current scenario, if he had not thought out of the box at that time when the idea of starting an e-commerce company came to him then e-commerce would not be where it is currently today. As Amazon was growing slowly at the initial stage many other entrepreneurs also sensed the great potential in the e-commerce sector in the coming future, which we are seeing now. They understood how important it was to make their

लमही के महतो

लमही कुशवाहा बहुल गाँव है.इनका उपनाम 'महतो'है.गोबर महतो की शादी अंतरजातीय है.भोला अहीर की पुत्री से इसका एक बच्चा भी है.आज की खाप पंचायतें इन्हें मार डालती.समाज इन्हें बहिष्कृत करता है.पर इन्हें मृत्युदंड़ नहीं देता.ये प्रेमचंद की दूरदर्शिता का परिणाम है.कुशवाहा और यादव के बीच का संबंध भविष्य की ओर इशारा करते हैं.शायद प्रेमचंद को लगा हो कि पिछड़े एक होने वाले हैं.नब्बे के दशक में ऐसा हुआ और हमारे बीच मंडल आयोग आया.गोदान में रूपा सोना को -सोना चमार कह चिड़ाती है.इससे स्पष्ट है कि होरी ,चमार(शूद्र)नहीं है.वह महतो है.बनारस और अवध के आसपास कुशवाहा किसान स्ववं को महतो कहते हैं.