Posts

Showing posts from January, 2021

विनीता परमार की कविताएँ

विनीता परमार की कविताओं में स्त्री चेतना का विपुल विस्तार ............डॉ.हरेराम सिंह... विनीता परमार के पास कहने को तो अभी बहुत सफर तय करने हैं पर इनका सफरनामा इतना छोटा भी नहीं कि आप इन्हें छोड़कर चले जाएँ.अगर आप आलोचक हैं और इनकी कविताओं को पढते हैं या छुते हैं तो आप इन्हें 'बाय'कह नहीं जा सकते.थोड़ा ठहरेंगे,हालचाल पूछेंगे ,और उस दौरान आप उनकी कविताओं में उतरते चले जाएँगे कि और उनकी कविताएँ अपनी व्यवहार कुशलता,आत्मीयता, तार्किकता और संवेदना द्वारा आपको जीत लेंगी और आप उनके हो जाएँगे.बोधि प्रकाशन -जयपुर से "दूब से मरहम''काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके है.''खनक आखर की''साझा काव्य संग्रह में भी इनकी कविताएँ संकलित हैं और "धप्पा'(संस्मरण संग्रह)का संपादन भी कर चुकी हैं और आजकल,बया,कादंबिनी,कथादेश,मधुमति,प्रकृति दर्शन ,निकट,सृजन सरोकार,अहा जिंदगी,समहुत आदि में भी लगातार छपती रही हैं और पेशे से  केंद्रीय विद्यालय ,पतरातू(झारखंड)में शिक्षिका हैं और पर्यावरण विज्ञान में ये शोध कार्य भी कर चुकी हैं.इनके पूरे आत्म चरित से आप सहज ही अनुमान लगा सकते है

डॉ.हरेराम सिंह को मिला 'अशोक रत्न 2021'सम्मान.

Image