बनाफ़र चंद्र

बनाफ़र चंद्र का नाम आपने जरुर सुना होगा। हाँ,वहीं बनाफ़र चंद्र जिनका "ज़मीन" उपन्यास जगदीश मास्टर के जीवन संघर्ष पर आधारित है,कितना कुछ सच लिखा है,उन्होंने इस उपन्यास में। ये भी मूलत:रोहतास के मूल निवासी रहे।काराकाट के श्रीरामपुर गाँव जो बाराडीह के पास है,हां वहीं श्रीराम पुर जहाँ घोड़े बहुत हैं। वहीं के थे बनाफ़र चंद्र, मूल नाम-रामचंद्र सिंह।वीर बांकुरा बनाफ़र।इनका जन्म भी इसी जुलाई के महीना में हुआ था,०२ तारीख़ सन् १९५० को।और बाद में भोपाल में रहते थे। एक बार मेरे फूफा जी के भाई से इनकी पुत्री की शादी की बात चली थी,पर हो न पाई।फूफा जी के पिता जी और बनाफ़र चंद्र दोनों एक साथ काम करते थे। मेरी इक बनाफ़र भाभी की रिश्तेदारी बनाफ़र चंद्र जी के खानदान में में ही है,जिसकी वज़ह गाँव के बहुत लोग उनके बनाफ़र चंद्र जी के परिवार को जानता है। वे भले लोग हैं। उन्हें अन्याय पसंद नहीं।आल्हा-ऊदल जैसे अटल।१९९६ ई.में इन्हें रेणु सम्मान मिला। ऐसे महान व दिलदार को हिंदी साहित्य भला कैसे भूला देगा। बस्ती और अंधेरा,अधूरा सफ़र जैसे उपन्यासों के प्रणेता !
         कुछ लोगों ने इनके उपन्यासों पर आरोप लगाया ,वहीं आरोप जो रेणु जी पर लगा था कि बिल्कुल तैयारी से नहीं लिखी गई है। हल्का चूक गए हैं। पर ,भारत की,खासकर शाहाबाद की किसान व दलित जनता उनके "ज़मीन" को पढ़ा तो आँखों से अश्रु बहने लगे। अब आप ही निर्णय लीजिए कौन चूक गये?
बनाफ़र चंद्र जी का ससुराल डेहरी में है।उनकी बेटी की शादी एअरफोर्स लड़के से हुई। वे अपनी बेटी की शादी से काफी खुश थे। उनकी नातिन बहुत बड़ी नृत्यांगना है। उनके मित्र कहानीकार सीड़ी सिंह हैं। सौभाग्य से दोनों एक ही गाँव के हैं। आज मुझे एक दुर्लभ तस्वीर हासिल हुई,जिसमें वे हैं,मैं हूं और सीड़ी सिंह हैं।बनाफ़र चंद्र २नवम्बर २०१७ ई.को हमारे बीच से चले ।
(बनाफ़र चंद्र,हरेराम सिंह और सीडी सिंह)

++++लेखक-हरेराम सिंह++++

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