कर्नल टॉड और कुशवाहा


पृ.सं.567 पर कछवाहा या कुशवा लिखा है।यह कुशवा(हा) है। 'हा' मिसप्रिंट है।

कुशवाहा
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■हरेराम सिंह...
कुशवाहा जाति कुश के वंशज है। उरावों से इसका संबंध नहीं है। अयोध्या से रोहतासगढ और रोहतासगढ से नरवर गई। वहाँ जाने पर कुशवंशी/ कुशवाहा ही कछवाहा हो गए। इसकी दूसरी शाखा लाहर के पास कोहरी या कोहारी दर्रा के पास बस गई। कुछ लोग कोहारी से कोइरी की उत्पत्ति भी मानते हैं। कुशवाहा किसी बानरी सेना से नहीं सीधे रामचंद्र से बनी है यानी उनके ज्येष्ठपुत्र कुश से। किसी इतिहासकार सोमवंशी ने भी 'क्षत्रियार्णव ' में ऐसा ही लिखा है। ऐसे विभिन्न जगहों पर कर्नल टॉड कुशवाहा शब्द का प्रयोग किये हैं और कछवाहा भी। रोहतासगढ़ को बनाने का श्रेय भी कुशवंशी/कुशवाहों को ही देते हैं। अलग-अलग राय हो सकते हैं पर कुशवाहो का नस्ल देखे तो वह आर्य प्रतीत होगा अतएव उन्हें उराँव से नहीं जोड़ा जा सकता। जबकि यह भी सच है कि आमेर को छोड़कर मध्यकाल में अन्य राज्यों में ये शक्ति का विकास ज्यादा नहीं कर पाए।इस वजह से उनका सामाजिक हैसियत अन्य राज्यों में राजपूत जैसी नहीं रह पाई। और कई बार अन्य राजपूत राजाओं से इनकी लडाई भी हुई है जिस कारण कछवाहा को अन्य राजपूत राजाओं ने सम्मान उतना नहीं दिया। पर, टोटलिटी में इन्हें न कोई देखा न अध्ययन किया। मध्य प्रदेश में ऐसे कई कुशवाहा हैं जिनकी खतियानी जाति ठाकुर है पर वे ठाकुरों से कटते जा रहे हैं ।और वे कुश के वंशज हैं और कुछ के पूर्वज तो कछवाही सेना के अंग रहे हैं। ऐसे इतिहास और लोग न्याय कहाँ कर पाएँ है इनके साथ?


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