कहाँ खड़े हो मेरे राजकुमार

कहाँ खड़े हो मेरे राजकुमार
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लंपट समय में लंपट लोगों के साथ खड़ा होने पर विवश है हमारे युग की नई पीढ़ी
और हम हैं कि टुकुर-टुकुर ताक रहे हैं!
ऐसा नहीं है कि ये लंपट लोग इस युग से पहले कभी दिखाई ही नहीं दिए
और तत्कालीन ऊर्जा को कालनेमि बनकर भटकाए नहीं !
इधर का दौर कुछ ज्यादा ही खतरनाक हो चुका है
रूस-यूक्रेन युद्ध से भी ज्यादा
अमेरिका विश्व पटल पर ऐसा उतर रहा है जैसे उसने कोई पाप किया ही नहीं है
लोग नागासाकी और हिरोशिमा को भूल गए,
या भूलना उनकी मजबूरी बन गई है?
चाहे युद्ध कोई लड़े, सुनाई देती है मानवता की चित्कार ही!
पर, यह सुनने वाला कौन बचा हैं?
आज गाँव का बच्चा-बच्चा फेसबुक, ट्वीटर, वाट्सएप और इंस्टाग्राम पर सक्रिय है
और इस नई उपलब्धि के गुमान में वह इतना इतरा गया है कि भूख-प्यास की उसे चिंता नहीं 
अधकचरी सामग्री को ही प्रमाणिक आधार मान हुल्लड़ मचा रहा है
कश्मीर फाईल के पहले भी कई फाइलें दब गईं 
और बाद की कई फाइलें दब जाएंगी
महिलाओं के साथ बलात्कार और कमजोरों की जमीन कब्जाने की प्रक्रिया आज भी अबाध गति से चलती चली जा रही है
और मेरे गाँव का राजकुमार किताब छोड़ फेसबुक पर पलटिया मारने लगा है
और वह एक दल का हिस्सा बन गया है, जो घुलटिया ही मारते आया है अबतक
मानवता को बचाने और सौहार्द के लिए कुछ नया करने के लिए उसकी कोई योजना भी नहीं 
पर, बंदूक,तलवार, भाला के फेसबुकिया फोटो से  राजकुमार इतना अभिभूत है कि वह गदगदा गया है!
घर में छोटी बहन है, आठवीं में पढ़ती है
उसे संझली पहर पढ़ने बैठाने की जगह वाट्सएप ग्रुप में सक्रिय रहना वह मुनासिब समझता है 
और उसके लंपट दोस्त के पास इस जिंदगी को जीने के लिए पर्याप्त समय है
वे घंटों और कभी-कभी तो रात्रि चार बजे तक लगे रहते हैं मोबाइल महबूबा को दीदार करने में
जैसे कोई ऋषि उन्हें वरदान दे दिया है अमरता का!
और समय की घड़ी उनके लिए रुक जाएगी
वे जल्दी बूढ़े नहीं होंगे
और राजकुमार के लंपट साथी मिलकर उसका घर सजाएंगे?
राजकुमार मुस्कुरा रहा है, कुर्ते के उपर की दो बटमें खोल
चला जा रहा है
उस दिशा की ओर, जहाँ कोई गया ही नहीं है, उसके पूरखे भी नहीं !

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