कुशवाहा समाज: एक चिंतन

कुशवाहा समाज: एक चिंतन


कुशवाहा प्रधानमंत्री, कुशवाहा मुख्यमंत्री का स्वप्न देखना आसान है; सच बनाना कठिन । अगर पूछा जाए कि कुशवाहा क्षत्रिय समाज के पास अपनी कितनी राजनीतिक पार्टियाँ कितनी हैं? खासकर राष्ट्रीय स्तर की? तो उत्तर मिलेगा एक भी नहीं ।
शेर तो वह जाति समाज व कौम है जिसकी दबदबा आज भी केंद्र सरकार व राज्य सरकार में है। हमारा उज्ज्वल इतिहास जरूर है; पर वर्तमान ...पूछिए मत। हमारे नेता टिकट के लिए भाजपा, काँग्रेस, अपना दल, सपा, बसपा से भीख माँगते हैं। शेर भीख नहीं माँगता। अपनी राजनीतिक पार्टी रहती तो आप दूसरे को टिकट देते। उच्च शिक्षा और राजनीतिक चेतना से ही मजबूत हुआ जा सकता है । 
राम और बुद्ध के नाम पर लड़ना हमारी बेवकूफी है।
जो अपने बीच के विवादों को पचाता नहीं ; वह व्यक्ति या कौम बर्वाद हो जाती है।

संस्कृति का अर्थ न बेवकूफी है और न ही अंधभक्ति। इतिहास सबक के लिए है और संस्कृति गहरे अनुभव की उपज है। धर्म का रिश्ता संस्कति से है पर धर्म में बहुत चालाकी के साथ अंधविश्वास व गुलामी के बीज डाल दिए जाते हैं जिसे आम जनता नहीं जान पाती। इस्लाम, ईसाई और हिन्दू में भी ये तत्व मौजूद हैं जबकि उच्च आदर्श भी हैं। इसलिए अंधविश्वास व गुलामी जैसे तत्वों को त्यागे बिना धर्म के वर्तमान या अतीत के स्वरूप को ग्रहण करना मूर्खता है। इसलिए बुद्धि अहम है। प्रेम भी मूर्खता के कारण अपना अर्थ खो देता है।
" वंश " का संबंध खून से है वह न तो तर्क से है न भाव से। खून खून है। पर वंश भी बुद्धि व समझ के अभाव में नष्ट हो जाता है। परंपरा में प्रेम और समझ (बुद्धि से युक्त) है तो वह टिकाऊँ होगी वरना वह भी जल्द ही नष्ट हो जाएगी। इतिहास तो उसका होता है जो अंधभक्ति या अंधविश्वास के लिए नहीं ; न्याय के लिए लड़ना जानता है और जो पत्थर या कागज पर लिखना जानता है। लिखने के अभाव में इतिहास भी नष्ट हो जाता है।
आरती करना व चंदन लगाना व नमाज पढ़ना परंपरा हो सकता है पर वह मुकमिल इतिहास नहीं है। 
आज कुशवाहा समाज किस चौराहे पर खड़ा है ?
क्या इस वंश में जन्मे बच्चे को सामाजिक, आर्थिक व शैक्षिक सुरक्षा हम दे पाए हैं?
फिर वे शेर कैसे बनेंगे?
वाट्सएप बतकुचन आसान है। 
उनको आगे बढाने के लिए व्यवस्था व सुरक्षा देना कठिन है।
जिस कौम की बेटियों की इज्ज्त लूट ली जाती है उसे दूसरा भला शेर कैसे कहेगा?
तलवार से भी मजबूत आज अर्थ (रुपया) व शिक्षा की ताकत है। और राजा बनने के लिए "वोट" की?
हम कितने सांसद, विधायक व डीएम पैदा किए हैं?

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