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हरेराम सिंह
युवा कवि हरेराम सिंह का कविता संग्रह ' रात गहरा गई है ! ’ कुछ समय पूर्व मुझे प्रियवर सुमन कुमार सिंह जी के सौजन्य से प्राप्त हुआ । इसका प्रकाशन 2019 में ही हुआ था लेकिन तब से हरेराम जी से भेंट नहीं हुई है । यह पुस्तक भी वे मेरी अनुपस्थिति में ही सुमन जी को दे गए थे । यह उनका संभवतः पहला ही संग्रह है जिसके कारण इसमें उनके प्रारंभिक दौर की कुल 141 रचनाएं शामिल हैं । इसमें प्रकृति है ,परिवार है , गांव -समाज है , सामाजिक आर्थिक व्यवस्था के प्रति आक्रोश है और कई आदरणीय लोगों के प्रति सम्मान और श्रद्धा से ओतप्रोत भावनाओं की सहज अभिव्यक्ति है । अपनी एक रचना में उन्होंने मुझे भी सादर स्मरण किया है। -नीरज सिंह
कुशवाहा-वंश का इतिहास
कुशवाहा क्षत्रिय: देशी नस्ल बनाम विदेशी नस्ल .............. इतिहास में जिन्हें 'नव्य क्षत्रिय'(New Kshatriya) , 'शक-हूणों के वंशज' तथा 'माउंट अबू पर पवित्र या बनाए गए अग्नि वंशीय'जिस क्षत्रिय का जिक्र आता है ,उनसे हमारा राम और कुश का तनिक भी नस्लीय संबंध नहीं रहा है।राम का जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ था। सीता बिहार की थीं। अत:उत्तर प्रदेश और बिहार से संबंध रखने वाले या इससे माईग्रेट कुशवंशी कुशवाहा ही देश के 'प्राचीन क्षत्रिय'(Ancient Kshatriya) हैं। और राम इनके पूर्वज हैं।कुशवाहों का जो घराना अयोध्या, कुशीनगर, कन्नौज, वाराणसी,रोहतास गढ़,मगध आदि से संबंध रखते हैं,वे कुश के असल वंशज हैं। रोहतास गढ़ ,जो विंध्य पर्वतमाला के कैमूर पहाड़ी वाले संभाग पर अवस्थित है।यहाँ कुश के वंशज कूर्म कुशवंशी ने अपनी राजधानी बनाई थी,और इन्हीं के वंशज् कैमूर पहाड़ी के उस पार (दक्षिण ओर)उतर कर मध्य प्रदेश के नरवरगढ़ में दक्षिण कौसल,कुशीनगर, रोहतास गढ़ के बाद अपना नया ठिकाना बनाया था और वहाँ से कुछ लोग राजस्थान भी माई ग्रेट किए और वहाँ भी अपना गढ़ बनाया ।आज रोहतास-गढ़ के कुशवाहे
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